दिव्यांग क्रिकेट सर्किट में अपनी बल्लेबाजी से विश्व भर में छाप छोड़ने वाले गाजियाबाद के राजू बाबू अब पेट पालने के लिए तरस रहे हैं। राजा बाबू इन दिनों अपना और अपने बच्चों का पेट पालने के लिए ई रिक्शा चलाते हुए नजर आए। एक समय ऐसा भी था, जब राजा बाबू अपने पहियों वाली कुर्सी पर बैठकर महेंद्र सिंह धोनी के अंदाज में लंबे-लंबे हेलीकॉप्टर शॉट लगाया करते थे। इन्होंने पिछले समय में दिव्यांग क्रिकेट सर्किट में अपनी खतरनाक बल्लेबाजी से तहलका मचा दिया था।
कभी महेंद्र सिंह धोनी की तरह विस्फोटक अंदाज में बल्लेबाजी करता था यह खिलाड़ी
राजा बाबू एक दिव्यांग क्रिकेटर है दरअसल इनका नाम लोगों के सामने 2017 में आया, आपको बता दें, यह मुकाबला दिल्ली उत्तर प्रदेश की टीम के बीच खेला जा रहा था। उस समय इन्होंने अपने बल्ले से तूफानी बल्लेबाजी की और जब से ही यह विख्यात हुए। इन्होंने नेशनल लेवल पर खेले गए मैच हौसलों की उड़ान में 20 गेंदों पर 57 रनों की खतरनाक पारी खेल डाली। उन्होंने अपनी शानदार पारी के चलते अपनी उत्तर प्रदेश की टीम को शानदार जीत दिला दी। आपको बता दें कि यह उत्तर प्रदेश की टीम की अगुवाई भी कर चुके है। आखिरकार क्यों चलानी पड़ रही है ?अब राजा बाबू को ई रिक्शा यह हम आपको आगे बताते हैं।
अब इतनी बुरी हालत हो चुकी है कि पेट पालने के लिए चलानी पड़ रही है ई-रिक्शा
आपको बता दें गाजियाबाद के एक बिजनेसमैन राजा बाबू की बैटिंग को देख कर बहुत प्रभावित हुए थे। वह राजा बाबू की बल्लेबाजी से प्रभावित होकर उनको एक ई रिक्शा गिफ्ट के तौर पर दे दी। लेकिन अब राजा बाबू का कहना यह है, कि वह कोई प्रोफेशनल क्रिकेटर नहीं है। उनके पास पेट पालने के लिए कोई साधन नहीं है। इसीलिए उन्होंने ई रिक्शा चलाना बेहतर समझा। इसके अलावा राजा बाबू ने बताया है, कि वह अपने परिवार पालने के लिए दूध भी बेच चुके हैं। अब वह अपनी गाजियाबाद में ही ई रिक्शा चलाकर अपने और अपने बच्चों का पेट पाल रहे हैं। हम आपको आगे बताते हैं, कि राजा बाबू कैसे हुए थे दिव्यांग?
7 साल की उम्र में हो गए थे राजा बाबू दिव्यांग
दरअसल यह बात 1997 की है। जब राजा बाबू केवल 7 साल के थे। तभी इनका पैर ट्रेन में आ गया था। और वह इस दुर्घटना के कारण दिव्यांग हो गए थे। ट्रेन में आकर इनका बाया पैर कट गया था। इसके बाद उन्होंने अपनी जिंदगी में काफी संघर्ष किया और क्रिकेट में अपनी रुचि दिखाते हुए खेलना शुरू किया। यह दिव्यांग क्रिकेट में नेशनल लेवल तक पहुंचे। लेकिन अब भी इनको अपना जीवन यापन करने के लिए ई रिक्शा चलानी पड़ रही है।